यह तो सभी जानते हैं कि हनुमान जी चिरंजीवी हैं। वे हर युग में पृथ्वी पर रहते हैं। वे सतयुग में भी थे,रामायण काल में भी थे और महाभारत काल में भी। लेकिन इस पाप से भरे कलियुग में उनका ठिकाना कहाँ है यह अभी तक रहस्य बना हुआ था। लेकिन अब यह शायद रहस्य नहीं रहा। श्री लंका के एक जंगल में उनके होने का आभाष हो रहा है। गौर तलब है कि यह जंगल उसी स्थान के पास है जहाँ पहले कभी अशोक वाटिका हुआ करती थी जहाँ रावण ने सीता माता को बंदी बना रखा था। इस स्थान को अब सीता एलिया के नाम से जाना जाता है।
इस बात में आश्चर्य नहीं कि हनुमान जी वहाँ किसी आधुनिक समाज के लोगो के सामने नहीं प्रकट होते बल्कि एक रहस्यमयी कबीले के लोगों के सामने प्रकट होते हैं। इस कबीले को मातंग कबीला नाम दिया गया है और इस कबीले में मात्र 50 के करीब लोग है जो आधुनिक समाज से बिलकुल कटे हुए हैं। इस कबीले का अगर किसी के साथ अगर थोडा बहुत संपर्क है तो वो है एक दूसरे कबीले के लोगो के साथ जिसे वैदेह कबीला कहा जाता है।
वैदेह कबीले के लोग रावण के भाई विभीषण के वंशज माने जाते हैं। 544 ईसा पूर्व श्री लंका की महारानी कुवेणी जो विभीषण की वंशज थी , को धोखा देकर भारत से पलायन करके गए एक राजकुमार ने श्री लंका की सत्ता हथिया ली थी। उसके बाद कुवेणी की मृत्यु हो गयी थी और उसके बच्चे जंगलो में रहने लगे थे जिनके वंश से वैदेह कबीला बना। लेकिन जो मातंग कबीला है जिसमे सिर्फ 50 के करीब लोग हैं, ये किसके वंशज हैं इसका कोई पता नहीं चला है।
पिछले कुछ वर्षो से कबीलाई भेष में इस रहस्यमयी कबीले का अध्ययन कर रहे कुछ अन्वेषकों ने इनके रहस्यों से पर्दा उठाना शुरू कर दिया है। पता चला है कि यह लोग साधारण इंसान नहीं बल्कि हनुमान जी के सेवक हैं। और हनुमान जी कुछ विशेष अवसरों पर इनके बीच प्रकट होते हैं। उदाहरण के तौर पर जब कोई वानर मर जाता है तो ये लोग इकठ्ठे होकर प्रार्थना करते है जिसमे स्वयं हनुमान जी प्रकट होते हैं।
यह भी रोचक है कि श्री लंका के हिन्दू राजा (राजा विजय के वंशज ) मातंग कबीले के इन रहस्यमयी लोगो से संपर्क साधकर अपने लिए और राज्य की समृद्धि के लिए पूजा करवाते थे। अब श्री लंका सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सेतु नामक संस्था का गठन किया है जिसका उद्देश्य आधुनिक समाज के लोगो का इस रहस्यमयी कबीले के साथ संपर्क स्थापित करना तथा इनकी विद्या और शक्ति का प्रयोग आधुनिक समाज के कल्याण के लिए करना है। इसी कड़ी में सेतु आधुनिक समाज के लोगो के लिए मातंग कबीले के द्वारा पूजा करवाता है। सेतु की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अब यह पूजा ऑनलाइन भी बुक की जाती है। इसके लिए भक्त को अपनी जन्म तिथि आदि सूचनाये देनी होती हैं फिर सेतु के लोग उन सूचनाओं को कबीले की सांकेतिक भाषा में ट्रांसलेट करके उस भक्त के लिए पूजा करवाते हैं।

Gaurav Sharma, Haridwar