बुद्धिवर्धक मन्त्र
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत् क्रौञ्चमिथुनादेकमवधी: काममोहितम् ।।
महर्षि वाल्मीकि के मुख से सर्वप्रथम इसी श्लोक के रूप में भगवती सरस्वती का
प्राकट्य हुआ । ऐसा ब्रह्मा जी ने स्वयं उन्हे बतलाया है ।
यदि कोई भी व्यक्ति प्रातःकाल सोकर उठने के बाद सर्वप्रथम इस मन्त्र का मन ही
मन 7 बार जप कर ले तो उसकी बुद्धि तीक्ष्ण होती है और वह माँ शारदा का कृपापात्र
बनता है । इसके जप के पूर्व कुछ बोला न जाय । जप सोये हुए विस्तर पर ही करना है ।
जय श्रीराम
#आचार्यसियारामदासनैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar