भगवन्नाम की सर्वसुलभता
ॐ यह परमात्मा का वाचक नाम है । “तस्य वाचकः प्रणवः” से योगदर्शनकार भगवान् पतञ्जलि ने इसे ब्रह्म का वाचक माना है ।
किन्तु वेदमन्त्रों के लिए अपेक्षित शुद्धि आदि की योग्यता सर्वसुलभ न होने से हमारे चिन्तक ऋतम्भरा प्रज्ञा के धनी ऋषियों ने जाति पांति के भेदभाव के विना यहां तक कि पशु पक्षी आदि को भी सुलभ हरिनाम का आश्रय खोजा ।
जिसकी महिमा वेद भी गाते हैं । वह सुलभ भगवन्नाम हम सबका कल्याण करे । हनुमन्नाटक में हनुमान जी कहते हैं कि –
” भगवान् का राम नाम कल्याण का खजाना है। कलियुग के मल को धोने वाला है । और पवित्रों को भी पवित्र करने वाला है । शीघ्र परमपद की प्राप्ति के लिए प्रस्थान करने वाले मुमुक्षुओं के लिए जो पाथेय है ।
व्यास वाल्मीकि जैसे श्रेष्ठ कवियों के लिए परम विश्राम का स्थान है अर्थात् वे भी राम नाम का ही अन्ततः आश्रय लेते हैं । और सत्पुरुषों का जीवन अर्थात् प्राणाधार है ।
इतना ही नही धर्मरूपी वृक्ष का बीज भी राम नाम है । अर्थात् इसके जप से अधार्मिक भी सम्पूर्ण धर्मों का फल प्राप्त कर लेता है । ऐसा राम नाम आप लोगों को ऐश्वर्य आदि प्रदान करे — 😳
“कल्याणानां निधानं कलिमलमथनं पावनं पावनानां
पाथेयं यन्मुमुक्षोः सपदि परपदप्राप्तये प्रस्थितस्य ।
विश्रामस्थानमेकं कविवरवचसां जीवनं सज्जनानां
बीजं धर्मद्रुमस्य प्रभवतु भवतां भूतये राम नाम ||”
–«हनुमन्नाटकम्-श्लोक -1»
यह रहस्य सभी भगवन्नामों के विषय में समझना चाहिए ।
जय श्रीराम
जयतु भारतम्,जयतु संस्कृतम्
आचार्य सियारामदास नैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar