राम से बड़ा राम का नाम
सुमिरि पवनसुत पावन नामू । अपने बस करि राखे रामू ॥
हे प्रभो आपका नाम आप से भी महान् है –ऐसा मेरा दृढ़निश्चय है ; क्योंकि आपने अयोध्यावासियों को तारा किन्तु आपके नाम ने तीनों लोकों को तार दिया ॥–
राम! त्वत्तोऽधिकं नाम इति मे निश्चला मतिः । त्वया तु तारिताऽऽयोध्या नाम्ना तु भुवनत्रयम् ॥
भगवान् सबके हृदय में रहते हैं फिर भी लोग दुखी हैं ।
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति । –गीता,18/61
अस प्रभु हृदय अछत अविकारी । सकल जीव जग दीन दुःखारी ॥
पर प्रभु का नाम हृदय क्या मात्र जिह्वा पर ही रहने लगे तो समस्त जीवों का उद्धार हो जाय॥
नाम सप्रेम जपत अनयासा । भगत होहिं मुद मंगलवासा ॥ -रा.च.मा.बा.का.दोहा-24/2
राम भालु कपिकटक बटोरा । सेतु हेतु श्रम कीन्ह न थोरा ॥
नाम लेत भवसिन्धु सुखाहीं । करहु विचार सुजन मन मांही ॥ -रा.च.मा.बा.का.दोहा-25/3-4,
पर नामजप अर्थानुसंधानपूर्वक हो तो शीघ्र ही लाभ की अनुभूति होती है ।
—जय श्रीराम— —जयतु भारतम्, जयतु वैदिकी संस्कृतिः—
—-आचार्य सियारामदास नैयायिक–

Gaurav Sharma, Haridwar