रुद्राष्टकम् के चमत्कारी प्रयोग

यदि ग्रहण में रुद्राष्टक सिद्ध कर लिया जाय तो इसका प्रभाव तत्काल देखने को मिलता है ।

ग्रहण शुरु होने के पहले स्नान करके आसन पर बैठ जायें । ग्रहण लगते ही पाठ आरम्भ कर दें । और ग्रहण समाप्ति तक पाठ करें । इससे रुद्राष्टक सिद्ध हो जायेगा ।

१–कन्या के विवाह हेतु –

जिन लड़कियों की शादी होने में विलम्ब हो रहा हो । उन्हें रुद्राष्टक से भगवान् भोलेनाथ की उपासना करनी चाहिए । शुक्लपक्ष के किसी भी सोमवार को मन्दिर में शिव जी को जल से स्नान करायें और ११ बिल्वपत्र चढ़ाकर गोघृत का दीपक लगाकर शिव जी के दांये सामने की ओर रखें । तत्पश्चात् रुद्राष्टक का ११ पाठ करें । विवाह निश्चित हो जाने पर भी बीच में न छोड़ें । विवाहोपरान्त ११विप्रों को भोजन एवं दक्षिणा दें । मासिक धर्म होने पर ये कार्य किसी अन्य से करवा लेना चाहिए ।

 

१- १ लोटा ताम्रपत्र में जल

२- ११ बिल्वपत्र

३- गोघृत का दीपक

तत्पश्चात् पाठ आरम्भ करें । ११ पाठ प्रत्येक सोमवार को  करना है । किसी सोमवार को छूटने पर नियम खण्डित हो जायेगा । mc पीरियड में किसी महिला से करवा लें ।

 

रुद्राष्टकम्

 

नमामीशमीशान निर्वाणरूपम् । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहम् । चिदाकाशमाकाशवासं भजेSहम् ॥१॥

निराकारमोंकारमूलं तुरीयम् । गिरा ज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ॥

करालं महाकालकालं कृपालम् । गुणागारसंसारपारं नतोSहम् ॥२॥

तुषाराद्रि संकाशगौरं गभीरम् । मनोभूतकोटिप्रभाश्रीशरीरम् ॥

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारु गङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥३॥

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालम् । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ॥

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालम् । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥४॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशम् । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ॥

त्रय:शूलनिर्मूलनं शूलपाणिम् । भजेSहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥५॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी । सदा सच्चिदानन्ददाता पुरारी ।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥६॥

न यावद् उमानाथपादारविन्दम् । भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ॥

न तावत् सुखं शान्तिसन्तापनाशम् । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥७॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजाम् ।नतोSहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ॥

जरा  जन्मदु:खौघ  तातप्यमानम् । प्रभो पाहि  आपन्नमामीश  शंभो ॥८॥

रुद्राष्टकमिदं    प्रोक्तं    विप्रेण    हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भु: प्रसीदति ॥

 

–रामचरितमानस,उत्तरकाण्ड, १०८,

 

२–शत्रु से मुक्ति हेतु –

सारी सामग्री वही रहेगी । केवल दीपक सरसों के तेल का बायें सामने की ओर रखा जायेगा ।और रुद्राष्टक का पाठ रविवार से शुरु किया जायेगा । प्रतिदिन ११पाठ करके सोमवार को समापन करना है । यदि शत्रु की बाधा शेष हो तो अग्रिम सोमवार तक पाठ करें । बाद में शिव जी का रुद्राष्टक से दुग्धाभिषेक करके स्नान करवाये और पुये का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें ।

 

३–कर्ज से मुक्ति हेतु –

ध्यानम्–

 

शशांकशेषरं शम्भुं वरदं करुणाकरम् । ध्यात्वा शुद्धवपुर्धीमान् रुद्रं रुद्राष्टकं जपेत् ॥

 

स्नाननादि से शुद्ध होकर बुद्धिमान् प्राणी वरमुद्राधारी करुणासिन्धु भगवान् चन्द्रशेषर का ध्यान करते हुए ११बार रुद्राष्टक का जप करे । आरम्भ चन्द्रवार ( मंडे ) से करना चाहिए । सामग्री कन्या विवाह वाली ही रहेगी । यह प्रयोग सोमवार से शुरु होकर प्रतिदिन करना चाहिए ।प्रत्येक सोमवार को भी कर सकते हैं ।

जिन महानुभावों को सामग्री मिलना असम्भव हो वे मानस पूजा में वही सामग्री समर्पित करके लाभ ले सकते हैं ।

– #आचार्यसियारामदासनैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar

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