वैदिक सनातन धर्म के देवता

हिन्दू (वैदिक सनातन) धर्म के देवता

राम सीता लक्ष्मण हमारे वैदिक सनातन हिन्दू धर्म में कितने देवता हैं ?
इसे सप्रमाण बतलाना चाहिए ।

कुछ लोग 33 करोड़ तो

कुछ 33 प्रकार के बतलाते हैं ।

इस विषय में हम वेदों का शिरोभाग जिसे उपनिषद् कहते हैं उससे

इस विषय को प्रस्तुत करते हैं ——

बृहदारण्यक उपनिषद् में शाकल्य ऋषि ने याज्ञवल्क्य महर्षि से पूछा –

” देवता कितने हैं ” ?

—कति देवाः ?–३/९/१-२

याज्ञवल्क्य जी ने अन्तिम उत्तर देते हुए कहा ——-33 ही देवता हैं

—–त्रयस्त्रिंशत्त्वेव देवाः।–३/९/१-२

अब प्रश्न हुआ –वे 33 देवता कौन कौन हैं ?

इसका उत्तर दिया गया ——

8 वसु

11 रुद्र

12 आदित्य

1 इन्द्र

1 प्रजापति

कुल योग = 33

यही 33 देवता हैं । —–बृहदारण्यकोपनिषद् -, ३/९/१-२

इस प्रकार वेद के शिरोभाग उपनिषद् में 33 ही देवता कहे गये हैं ।

पुनः वहीँ आगे चलकर प्रश्न पर प्रश्न हुआ और अंतिम प्रश्न

फिर किया गया कि वस्तुतः कितने देवता हैं —-“ कतमः “?

—३/९/५ ,

इसका उत्तर किया गया कि देवता तो एक ही है –“ एको देव इति “

–३/९/५,

यह जो १ देव है , इसका नाम क्या है ? ऐसी जिज्ञासा होने पर उत्तर

किया गया कि उसका नाम ब्रह्म है —“ ब्रह्म तदित्याचक्षते “

–३/९/५,

इसी बात को हम आगे श्वेताश्वतर उपनिषद् के आधार पर बतलायेंगे |

यहां कहीं भी –33 कोटि देवता –ऐसे शब्द का प्रयोग ही नहीं है। जिससे

हमें कोटि शब्द के अर्थ को बतलाने के लिए बाध्य होना पड़े ।

ये 33 देवता भी एक ही देवता = परमात्मा =ब्रह्म =भगवान् के

विभिन्न रूप हैं ।

वस्तुतः वह एक ही ब्रह्म नामक देव भिन्न भिन्न प्रकार से अनेक

नामों से कहा गया है

—एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति –ऋग्वेद,

वही एक देव सर्वत्र सभी चराचर प्राणियों में व्याप्त (समाया हुआ ) है—

एको देवः सर्वभूतेषु गूढः —-श्वेताश्वतरोपनिषद्-6/11.

हमारा वैदिक सनातन हिन्दू धर्म मुस्लिम या इशायियों की भांति छुद्र

विचारधारा वाला नहीं है ।

यहां तो यह उस समय ही विनिर्णीत हो चुका था जब कटुवे और इशाई

आदि किसी की भी सभ्यता या इनके मूल पूर्वजों का इस धरती पर

जन्म ही नहीं हुआ था कि –

” जो कुछ दिखायी या सुनायी देता है वह सब वही एक देव है ” —

“सर्वं खल्विदं ब्रह्म “—3/14/1.

अतः हमारे सनातन धर्म में मूलतः एक ही देव हैं जिन्हे हम इन

33 देवताओं की बात क्या ,

सम्पूर्ण विश्व को उन्ही का रूप देखते हैं ।

इसलिए आज तक हिन्दुओं में किसी ने भी अन्य धर्मानुयायी को

धर्मपरिवर्तन के लिए बाध्य क्या , प्रेरित भी नही किया ।

जैसा कि मच्छरों की तरह अपनी संख्या बढ़ाना ही बाइबिल और

कुरआन का धर्म समझकर इशाई और मुस्लिम कर रहे हैं ।

जिन्हें अभी भी इस विषय में सन्देह हो उन्हें अपनी विमल मेधा

का प्रयोग करके ब्रह्मसूत्र के “देवताधिकरण”

-अध्याय 1/पाद 3/अधिकरण 8/सूत्र 27.

के शांकर भाष्य एवं उसकी भामती टीका आदि ग्रन्थों का अवलोकन

करना चाहिए ।

>>>>>>>>जय श्रीराम<<<<<<<<<<< #आचार्यसियारामदासनैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar

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