पुरुषसूक्त, मन्त्र-१२ की विशद हिन्दी व्याख्या

पुरुषसूक्त, मन्त्र-१२ की विशद हिन्दी व्याख्या–आचार्य सियारामदास नैयायिक

चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत । श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत ।।12।।

पूर्व मन्त्र में आत्मनिवेदनभक्तिरूप मानस नरमेधयज्ञ के अधिकारी मानवमात्र की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख आदि अंगों से बतलायी गयी । पुनः सभी लोगों के जीवन में परमोपयोगी चन्द्र,सूर्यादि की उत्पत्ति बतलायी जा रही है जिनके विना हम सभी का जीना ही असम्भव है।इतना ही नही जिन पशु पक्षी आदि की उत्पत्ति 8वें मन्त्र में कही गयी है उन सबका भी जीवन जिनके अधीन हैउन्ही चन्द्र,सूर्य और वायुस्वरूप प्राण की उत्पत्ति इस ऋचा में उल्लिखित है–

मनसो = चतुरानन ब्रह्मा जी के मन से, चन्द्रमा = चन्द्र, जातः = उत्पन्न हुआ । चक्षोः =चक्षुषः =और नेत्र से, सूर्यो =भगवान् भास्कर, अजायत = उत्पन्न हुए । तथा, श्रोत्राद् =कर्णेन्द्रिय से, वायुश्च =वायुरूपी, प्राणश्च = प्राण अपान समान उदान और व्यान इन विभिन्न नाम वाला प्राण वायु उत्पन्न हुआ ।

शरीर के अन्दर संचरण करने वाले वायु को प्राण कहते हैं यद्यपि वह एक ही है तथापि मुख और नासिका से निकलने तथा प्रवेश करने वाली वायु को प्राण कहते हैं । जल अन्न आदि को खाने पर जो नीचे ले जाता है वह अपान गुदा में रहता है। खाये गये भोजनादि को पचाने हेतु जो जठराग्नि को ऊपर उठाता अर्थात् प्रज्ज्वलित करता है वह समान है इसका स्थान उदर है।

अन्नादि को ऊपर ले जाने वाला उदान है । खट्टी डकार आदि में इसका अनुभव होता है । तथा विभिन्न नाड़ियों में फैले हुए वायु को व्यान कहते हैं । इस प्रकार अनेक कार्यरूपी उपाधियों के कारण प्राण वायु ही अपानादि विभिन्न नामों से जाना जाता है —

“स चैकोऽप्युपाधिभेदात् प्राणाऽपानादिसंज्ञां लभते।”

वायुश्च तथा प्राणश्च इन दोनो स्थानों में च शब्द पादपूर्ति के लिए है । मुखाद् = और ब्रह्मा जी के मुख से, अग्निः = अग्नि, अजायत =उत्पन्न हुआ ।

इस प्रकार इस मन्त्र में सम्पर्ण प्राणियों के जीवनोपयोगी पदार्थों की सृष्टि का उल्लेख किया गया है । ये सूर्य चन्द्र प्राणवायु और अग्नि विना किसी भेद भाव के हम सभी का कल्याण करते हैं । अतः इन प्रत्यक्ष देवों को कोटि कोटि नमस्कार है । इन्हे नमन करने में सभी वर्ण के मानवों का पूर्ण अधिकार है । नित्य कर्म सन्ध्या वन्दनादि और अग्निहोत्र प्रभृति कर्मों में इनकी कितनी आवश्यकता है –इस रहस्य को कम लोग ही जानते है।

जय श्रीराम

#आचार्यसियारामदासनैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar

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