नवम शक्ति पराम्बा सिद्धिदात्री

भगवती दुर्गा की नवम शक्ति पराम्बा सिद्धिदात्री

 

              भगवती दुर्गा का नवम रूप है -माँ सिद्धिदा जिन्हें लोग सिद्धिदात्री के नाम से पुकारते हैं । सिद्धिदा का सीधा अर्थ है-सिद्धि देने वाली-”सिद्धिं ददातीति सिद्धिदा” .

           अब प्रश्न यह उठता है कि माँ के जो शेष ८ रूप पूर्व में बतलाये गए हैं । वे भी तो सिद्धि देने वाले हैं फिर इनकी उन देवियों से ऐसी कौन सी विशेषता है कि जिसके कारण इनका नाम सिद्धिदा पड़ा ?

समाधान—माँ सिद्धिदा के नाम में जो सिद्धि शब्द जुड़ा है उसका अर्थ है – मुक्ति या मोक्ष । हैमकोश में सिद्धि शब्द को मोक्षवाचक कहा गया है—  “सिद्धिस्तु मोक्षे निष्पत्तियोगयोः”।।-इस अर्थ की पुष्टि भागवतपुराण के  ”देवहूतिकपिल-संवाद” में मोक्ष के लिए प्रयुक्त  ”सिद्धि” शब्द से होती है । वहां भगवान् कपिल माँ देवहूति को बतलाते हैं कि भक्ति मुक्ति से श्रेष्ठ है—“भक्तिः सिद्धेर्गरीयसी”-३/२५/३३, अत एव अगले श्लोक  ”नैकात्मतां मे स्पृहयन्ति केचिन्मत्पादसेवाभिरता मदीहाः ।।” से भक्तों का भगवान् के साथ एकात्मतारूप मुक्ति की अनिच्छा का स्पष्ट कथन भगवान् कपिलदेव के द्वाराकिया गया ।

          इससे यह सिद्ध हुआ कि भगवती “सिद्धिदा” के नाम में प्रविष्ट सिद्धि शब्द उन सिद्धिओं का वाचक नही है ।  जिन्हें प्राप्त करके भी जीव संसारचक्र से नही छूटता  । अपितु मोक्षरूपिणी सिद्धि  का वाचक है जिसे प्राप्त करके मानव संसारसिन्धु से पार हो जाता है । इसी मोक्ष रुपिणी सिद्धि को देने वाली भगवती का नाम माँ “सिद्धिदा” है । अत एव गुप्तवती टीकाकार ने सिद्धिदा की व्याख्या  ”मोक्ष देने वाली” ही लिखी है—सिद्धिदेति । मोक्षदेत्यर्थः । इसलिए मोक्षरुपी परम सिद्धि को देने के कारण भगवती के इस नवम स्वरूप को “सिद्धिदा” नाम से अभिहित किया गया ।

वाहन ओर आयुध

माँ “सिद्धिदा” ( सिद्धिदात्री ) निर्वाण चक्र में विराजमान चार भुजाओं वाली देवी हैं । इनका वाहन सिंह तथा आसन कमल है । इनकी दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में गदा, ऊपर वाले हाथ में चक्र तथा बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में शंख और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प है ।

 

ध्यान

 

वन्दे वांछितमनोरथार्थचन्द्रार्घकृतशेखराम् ।

कमलस्थितां चतुर्भुजां सिद्धीदात्रीं यशस्विनीम् ॥ स्वर्णवर्णां निर्वाणचक्रस्थितां नवमदुर्गां त्रिनेत्राम् ।

शखचक्रगदापद्मधरां सिद्धिदात्रीं भजे । रक्ताम्बरपरिधानां मृदुहास्यां नानालंकारभूषिताम् ।।

#आचार्यसियारामदासनैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar

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