Post Views: 210 रावण से भी अधिक ज्ञानी पक्षिप्रवर भक्तराज जटायु जब श्रीराम ने मारीच का वध करने के बाद वैदेही के विना ही लक्ष्मण …
Author: Gaurav Sharma
Post Views: 127 राक्षसराज रावण और पक्षिराज जटायु का अद्भुत युद्ध श्रीराम की पंचवटी में निर्मित कुटीर से कुछ ही दूरी पर स्थित होकर पक्षिराज …
Post Views: 70 भक्तप्रवर पक्षिराज जटायु श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के अनुसार भगवान् राम जब पंचवटी प्रस्थान कर रहे थे । उस समय मार्ग में उन्हें पक्षिराज …
Post Views: 201 “सर्वधर्मान् परित्यज्य” से भगवान् ने गीता में क्या सभी धर्मों का त्याग कहा ? भगवान् ने गीता में पार्थ से कहा कि …
Post Views: 466 “स्त्रियों, वैश्यों तथा शूद्रों को भगवद्गीता के अनुसार पापयोनि कहना मात्र अज्ञान है” भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में – “मां हि पार्थ …
Post Views: 118 शास्त्रों में गुरु के १२ भेद बतलाये गए हैं १-अध्यापक, २-पिता, ३-ज्येष्ठभाई, ४-राजा, ५-मामा, ६-श्वसुर, ७-रक्षक, ८-नाना, ९-पितामह, १०-बन्धु, ११-अपने से बड़ा, …
Post Views: 140 ब्राह्मण जङ्गम तीर्थ हैं स्थावर और जङ्गम ये दो प्रकार के तीर्थ होते हैं । स्थावर तीर्थों में वे आते हैं जो …
Post Views: 955 साधकों के लिए कल्पवृक्ष– ”एकादशमुखहनुमत्कवच” यह एकादशमुख हनुमत्कवच साधकों के लिए सौम्य तथा शत्रुसमूह का विशेष संहारक है । यह कवच सम्पूर्ण …
Post Views: 64 पुरी में जगन्नाथ मंदिर के 8 चमत्कार इस प्रकार है– 1.मन्दिर के ऊपर झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराते हुए। …
Post Views: 259 हनुमानचालीसा में “संकरसुवन” पाठ के औचित्य में प्रमाण किसी भी महापुरुष के ग्रन्थ में पाठपरिवर्तन महापराध है । लिपिकारों से प्रमाद की …
Post Views: 72 व्याकरणदृष्ट्या भी “संकर सुवन” पाठ ही “हनुमानचालीसा” में सर्वथा प्रामाणिक है, अन्य नही शब्दकल्पद्रुम में प्रमाणपूर्वक यह तथ्य प्रस्तुत किया गया है …
Post Views: 76 हनुमानचालीसा में “संकर स्वयं” नहीं अपितु “संकर सुवन” ही प्रामाणिक पाठ है। किसी भी महापुरुष के ग्रन्थ में पाठपरिवर्तन महापराध है । …
Post Views: 410 शरणागति के ६ अंग इसी का दूसरा नाम “प्रपत्ति” तथा “न्यासविद्या” भी है । यह उपनिषदों में वर्णित ब्रह्मविद्याविशेष है और निश्चयात्मक …
Post Views: 50 सिद्ध विद्वान् सन्त श्रीशास्त्री जी महाराज, रामघाट, अयोध्या सन्तों की जन्मस्थली,कुल और जननी ये सब उन महापुरुषों की साधना,उदात्त भावना तथा उनके …