Post Views: 230 दशहरे का आध्यात्मिक रहस्य दशहरा विजयदशमी को मनाया जाता है । सम्पूर्ण विश्व में इस पर्व की बड़ी महिमा है । …
Author: Gaurav Sharma
Post Views: 47 भगवती दुर्गा की नवम शक्ति पराम्बा सिद्धिदात्री भगवती दुर्गा का नवम रूप है -माँ …
Post Views: 36 माँ दुर्गा की आठवीं महाशक्ति भगवती महागौरी यह जगज्जननी भगवती पार्वती का ही एक दिव्य स्वरूप है जो उन्हें कठोर …
Post Views: 75 लक्ष्मी और सरस्वती की परमाश्रया पराम्बा भगवती कात्यायनी “षष्ठं कात्यायनीति च” प्राकट्य – नवरात्र के छठे दिन सद्यः फलदायिनी मां ‘कात्यायनी’ …
Post Views: 20 “ब्रह्मविद् और महावीरों की जन्मदात्री भगवती स्कन्दमाता” देवर्षि नारद को आत्मतत्त्व का उपदेश करने वाले भगवान् सनत्कुमार को “स्कन्द” कहा गया …
Post Views: 32 स्कन्दमाता –भगवती दुर्गा का पांचवां स्वरूप देवर्षि नारद को आत्मतत्त्व का उपदेश करने वाले भगवान् सनत्कुमार को ” स्कन्द ” कहा गया …
Post Views: 47 उत्पत्तिपालनप्रलयकारिणी पराम्बा भगवती “कूष्माण्डा” “कूष्माण्डेति चतुर्थकम्” ़ भगवती दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप “़कूष्माण्डा” देवी कहते हैं । इनकी आठ भुजाएं हैं …
Post Views: 44 “आह्लादकारिणी तृतीय महाशक्ति भगवती माँ चन्द्रघण्टा” माँ चन्द्रघण्टा जगज्जननी भगवती दुर्गा की तृतीय शक्ति का नाम चन्द्रघण्टा है । नवरात्र के तीसरे …
Post Views: 24 द्वितीयस्वरूप वन्दनीया भगवती माँ ब्रह्मचारिणी भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों में दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या–”वेदस्तत्त्वं तपो …
Post Views: 41 देवी दुर्गा के नौ रूप होते है | देवी दुर्गाज़ी के पहले स्वरूप को “माता शैलपुत्री” के नाम से जाना जाता है …
Post Views: 39 “ॐ” का प्रयोग क्योँ और इसकी वैज्ञानिकता क्या? ॐ का वैज्ञानिक महत्त्व आइंसटाइन यही कह कर गए हैं कि ब्राह्मांड फैल रहा …
Post Views: 82 पुरुषसूक्त, मन्त्र-१६ की विशद हिन्दी व्याख्या -आचार्य सियारामदास नैयायिक यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् । ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे …
Post Views: 55 पुरुषसूक्त, मन्त्र-१५ की विशद हिन्दी व्याख्या-आचार्य सियारामदास नैयायिक सप्तास्यासन् परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः । देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन् पुरुषं पशुम् ||१५|| …
Post Views: 33 पुरुषसूक्त, मन्त्र १४ की विशद हिन्दी व्याख्या यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत । वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः।।१४।। पूर्व मन्त्र में हम सभी जीवों …