दीपावली को दीपदान विशेष लाभ के लिए कैसे करें ?
कार्तिक मास में विशेषकर आज दीपावली को दीपदान का बड़ा महत्त्व है । कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय और नर्मदा में चन्द्रग्रहण के समय अपने वजन के बराबर स्वर्ण के तुलादान करने का जो पुण्य है वह कार्तिक में केवल दीपदान से मिल जाता है –
सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे नर्मदायां शशिग्रहे ।
तुलादानस्य यत् पुण्यं तदूर्जे दीपदानतः ।।
जो घृत का दीपक जलाकर पुनः तिल के तेल का दीपक जलाता है । उसे अश्वमेध यज्ञसे क्या लेना देना? उस प्राणी ने समस्त यज्ञों को कर लिया , सम्पूर्ण तीर्थों में स्नान हो गया । जिसने भगवान् के आगे कार्तिक मास में दीपक लगाया-
तेनेष्टं क्रतुभिः सर्वं कृतं तीर्थावगाहनम् ।
दीपदानं कृतं येन कार्तिके केशवाग्रतः ।।
जो भगवान् के सामने दीपक लगाता है उसके मन्त्र, क्रिया और शुद्धि से हीन व्रत भी पूर्ण हो जाते हैं–
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं शुद्धिहीनं जनार्दन ।
व्रतं सम्पूर्णतां यातु कार्तिके दीपदानतः ।।
जिन लोगों ने भगवान् को कार्तिक मास में दीपक लगाया। क्या उन्होने गया में पिण्डदान करके अपने पितरों को तृप्त नहीं कर लिया ?-
दीपदानं कार्तिके ये दास्यन्ति हरितुष्टिदम् ।
गयायां पिण्डदानेन कृतं न प्रीणनं सुतैः ।।
–पद्मपुराण उत्तरखण्ड,
भगवान् के समक्ष दीपक भूमि पर कभी न रखें क्योंकि सब कुछ सहने वाली पथिवी को अकारण किया गया पदाघात और दीपक का ताप सहन नही होता –
सर्वंसहा वसुमती सहते न त्विदं द्वयम् । अकार्यपादघातं च दीपतापस्तथैव च ।।
-कालिकापुराण-अध्याय-६८,
निष्कर्ष-जब पूरे कार्तिक मास के दीपदान का इतना महत्त्व है तो आज दीपावली को भगवान् के समक्ष दीपक लगाने का कितना अधिक महत्त्व होगा –इसकी कल्पना आप सब स्वयं कर सकते हैं ।
अतः शाम को कम से कम १ घृत का दीपक भगवान् के सामने लगाकर दूसरा दीपक तेल का भी लगा दें । तत्पश्चात् घर में उचित स्थान पर दीपक लगायें । इससे हमारा दीपावली पर्व उपासना का रूप धारण कर लेगा ।
केवल मोमबत्ती या विद्युत के उपकरणों से घर की शोभा तो होगी पर वह दीपावली नही कही जा सकती । वह ” मोमबत्यवली ” या ” विद्युत् उपकरणावली “अथवा ” चमचम्यवली ” ही कहा जा सकता है ।
कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के स्नानादि का जो फल मिलता है । श्रीनर्मदा जी के तट पर चन्द्रग्रहण के समय तुलादान से जो पुण्य प्राप्त होता है । वही पुण्य कार्तिक मास में दीपदान से मिलता है । किन्तु दीप आज कैसे लगाकर अपने वैभव, सुख सम्पत्ति को बढ़ायें ??–इसके लिए आपके समक्ष दूसरा लेख प्रस्तुत किया जा रहा है ।
समेषां भारतीयानां पर्वसु यत् प्रकाशमत् ।सैषा दीपावली ज्योतिः ब्रह्मत्वेन विभातु च ।।११।।
अन्तर्बहिस्तमोनाशं विनाशं च कुकर्मणाम् । कुर्याद् दीपावली ह्येषा चैषा मे शुभकामना ।।२।।
पाठकानां च विश्वेषां भक्तानां विदुषां तथा । पद्यपुष्पाञ्जलिं दत्त्वा कुर्महे चाSभिनन्दनम् ।।३।।
श्रीरामो विजयतेतराम्
जय श्रीराम
#आचार्यसियारामदासनैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar