मानिषादप्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्कौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम् ।।
मानिषादप्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्कौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम् ।।
महर्षि वाल्मीकि के मुख से सर्वप्रथम इसी श्लोक के रूप में भगवती सरस्वती का प्राकट्य हुआ । ऐसा ब्रह्मा जी ने स्वयं उन्हें बतलाया है ।
यदि कोई भी व्यक्ति प्रातःकाल सोकर उठने के बाद सर्वप्रथम इस मन्त्र का मन ही मन 7 बार जप कर ले तो उसकी बुद्धि तीक्ष्ण होती है और वह माँ शारदा का कृपापात्र बनता है । इसके जप के पूर्व कुछ बोला न जाय । जप सोये हुए विस्तर पर ही करना है ।
जय श्रीराम
#आचार्यसियारामदासनैयायिक

Gaurav Sharma, Haridwar
प्रणवयुक्त द्वादशाक्षर मंत्र विना यज्ञोपवीत हुए ही ध्रुव जी को देवर्षि नारद से मिला । परम्परालब्ध मंत्र कोई भी जप सकता है । मिलना गुरु से चाहिए । जय श्रीराम
नमस्ते, संपूज्य आचार्य सियाराम दास स्वामीजी — आपसे विनीत निवेदन है कि इस महर्षि वाल्मीकी मन्त्र के जप का अधिकारी कौन है — इसकी व्याख्या कीजिएगा / “हरे राम हरे राम” मन्त्र के जप का सभी लोग अधिकारी हैं — ऐसा सुना गया है / क्या श्री महर्षि वाल्मीकी मन्त्र भी सर्वाभिगम्य है ? कृपया आपकी राय प्रकट कीजियेगा / मेरे पिताजी ने उपदेश दिया था — 55 बरस के पहले –कि वेद मन्त्र उपनयनादि संस्कार से युक्त पुरुष ही उपयोग कर सकते हैं और तांत्रिक मन्त्र की दीक्षा केवल गुरुमुख से लेनी चाहिए / किन्तु भक्ति मन्त्र या नाम मन्त्र को जपने में सब का अधिकार होता है — पिताश्री ने कहा था / आप कृपया बताईये कि क्या श्री वाल्मीकि मन्त्र भी सर्व जपनीय है ? धन्यवाद एवं सादर प्रणाम !
प्रसन्न रहें । जिसे जपना हो उसे यह मन्त्र परंपरा से प्राप्त करना होगा । विना उपदेश के कोई नहीं जप सकता है ।