Post Views: 86 क्या भगवान श्रीकृष्ण बकरी चराते थे?https://youtu.be/l5i8AHhFHbk?feature=shared
Post Views: 188 पत्नी दासीसमा यस्य वासनाशान्तिसाधनम्। मनुते य: कुलाङ्गार: नरो नैव स राक्षस: ।।१३।। जो पत्नी को दासी के समान तथा उसे मात्र …
Post Views: 423 पतिघ्नी दुष्ट भार्या सा या सदा कटुभाषिणी। कुम्भीपाकं चिरं भुङ्क्त्वा जायते कुक्कुरी तत:।।९।। पति का हनन करने वाली दुष्ट भार्या वह …
Post Views: 124 देहादिषु त्वहंबुद्धि: विचारेण निवर्तते। मोक्षाय साधनं सर्वं व्यर्थं हि निर्विचारकम्।।६।। देह आदि में जो अहंबुद्धि है । वह सम्यक् विचार से …
Post Views: 96 मित्रं सखे सदा ग्राह्यं यत्ते लक्ष्यं प्रसाधयेत्। लक्ष्यघ्नञ्चेद्भवेज्ज्ञातं तदा त्याज्यं मनीषिणा ।।५।। हे मित्र ! मित्र का संग्रह सदा करना चाहिए। …
Post Views: 138 यो ददाति सदा दु:खं सज्जनान् वाथ साधकान्। तेन पापेन दुष्टात्मा निरयं याति सत्वरम्।। जो प्राणी सज्जनों अथवा साधकों को सदा दु:खी करता …
Post Views: 384 नारियों को गुरु बनाना चाहिए या नहीं ??–इस विषय पर बड़ा विवाद चल रहा है । शास्त्रीय प्रमाणों के कुछ वाक्य प्रस्तुत …
Post Views: 183 होलिकारमणी दिव्या अर्बुदे वीक्ष्य राघवम् । चुम्बति चाथ मा मैवं भाषते चारुहासिनी ।। होलिकारूपिणी दिव्य रमणी अर्बुदाचल( माउंट आबू ) में षोडश …
Post Views: 281 “भ्रातृद्वितीया अर्थात् भैयादूज से नारी विधवा नहीं होती और भाई की आयु बढ़ती है “ भ्रातृद्वितीया– अर्थ–भ्रातृमङ्गलार्था भ्रातृभोजनार्था वा द्वितीया इति भ्रातृद्वितीया …

Post Views: 780 एकादशमुख हनुमत्कवच के पुरश्चरण की विधि- इस कवच के ४०००० पाठ का विधान है जो “चत्वारिंशत्सहस्राणि पठेच्छुद्धात्मना नरः” श्लोक में लिखा है …
Post Views: 140 धनं धान्यं पशून् पुत्रान् दारा: सर्वसुखानि च । समेभ्य: सर्वदा दद्यात्, इन्दिरा दीपमालिका ।। धन, धान्य, पशु, पुत्र, पत्नी और सम्पूर्ण सुख …
Post Views: 989 वेदों में मूर्तिपूजा का सप्रमाणविवेचन ऋग्वेद के अष्टम मण्डल में मूर्तिपूजा का उल्लेख इस प्रकार हुआ है- “अर्चत प्रार्चत प्रियमेधासो अर्चत । …
Post Views: 251 भगवानरामसृष्टिकेकण–कणमेंसमाएहैं।हरविज्ञान, विद्याऔरकलामेंउनकीहीमौजूदगीहै।गणितभीऐसाहीएकविषयहै।वास्तवमेंगणितसत्यकीखोजपरआधारितज्ञानकीशाखाहै।गणितमेंमनुष्यसत्यकोतलाशताहैऔरदुनियामेंपरमसत्यको।सत्यऔरपरमसत्यतोश्रीरामहीहैं।एकरोचकगणितीयपहेलीबतातीहैकिहरनाममेंश्रीरामसमाएहैंऔरयहबातसिद्धभीकीजासकतीहै।यहसांकेतिकरूपसेकहतीहै– नामकेअक्षरवेदगुनेकरिफेरिजतनसोंतत्वमिलावे।तत्वमिलायकेदूनेकरेफिरवामेवसुकोभागलगावे।भागलगायजोशेषबचेदोहरनाममेंरामकोवासबतावे।जिसकेनिशिदनजापकरनतेमनुआंमनवांछितफलपावे।अर्थआपकोईभीनामलें।मानाआपनेनामलिया– दीपक।नामकेपूर्णअक्षरलें।दीपकमें3 अक्षरहैं।इस3 कावेदगुनायानीचारगुनाकरें।चारगुना12 हुआ।अबइसमें5 तत्वमिलाएं।इसकायोग17 हुआ।तत्वमिलाकरदूनेकरें।अबइसकामान34 होगा।फिरइसमेंवसुयानी8 काभागलगाएं। 8 का34 मेंभागदेनेपर2 बचतेहैं।ये2 अक्षरभगवानरामकाप्रतीकहैं।इसप्रकारआपकिसीभीनामकेपूर्णअक्षरलेकरदेखें, सबमेंआपकोभगवानरामकेदर्शनहोंगे। केएलविजय
Post Views: 1,457 लोग आक्षेप करते हैं कि शूद्रों के कान में शीसा पिघलाकर डालने की बात शास्त्रों में क्यों कहीं गयी ?? जहां तक …